Remember onions? There’s a quality in them. No, not that they make you weep while you slaughter them. But that they have layers under layers in them. A thing we find in things around us too. They have different meanings, personalities and characters beneath the skin. But we sometimes miss to see them. This blog is an effort to explore those layers in an amusing way.
Monday, January 31, 2011
Saturday, January 29, 2011
Friday, January 28, 2011
Thursday, January 27, 2011
Monday, January 24, 2011
Sunday, January 23, 2011
Saturday, January 22, 2011
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Thursday, January 20, 2011
Monday, January 17, 2011
Sunday, January 16, 2011
Friday, January 14, 2011
Wednesday, January 12, 2011
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
दशकों से सुप्रसिद्ध रही हिन्दी फिल्म शोले फिल्म का खलनायक गब्बर सिंह करोड़ों दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ता आया है. हम सभी की नज़रों में वो एक क्रूर और हिंसा का प्रेमी डाकू रहा है. पर आज तक किसी ने उसके व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं पर चिंतन करने की कोशिश नहीं की है. यह लघु लेखन उन पहलुओं को जानने का एक नन्हा प्रयत्न है.
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बड़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की और इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवं कला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाद्ग समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन दोनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. परोपकारी मनुष्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह लिए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह छोटा सा प्रयत्न था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.
इससे यह स्पष्ट होता है कि ऊपर से बुरे दिखने वाले मनुष्य में भी कई अच्छे गुण होते हैं. लेकिन उन गुणों को जानने के लिए सतह के नीचे झांकना पड़ता है. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो गब्बर के अन्दर के गांधी को देखने से चूक जायेंगे.
Tuesday, January 11, 2011
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Saturday, January 01, 2011
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