Remember onions? There’s a quality in them. No, not that they make you weep while you slaughter them. But that they have layers under layers in them. A thing we find in things around us too. They have different meanings, personalities and characters beneath the skin. But we sometimes miss to see them. This blog is an effort to explore those layers in an amusing way.
Sunday, March 27, 2011
Tuesday, March 22, 2011
Thursday, March 17, 2011
Wednesday, March 16, 2011
Tuesday, March 15, 2011
Friday, March 11, 2011
'मुन्नी बदनाम हुई' एक आयटम सॉन्ग नहीं, बल्कि भक्ति-गीत है. क्यूँ?
आपने 'मुन्नी बदनाम हुई' गीत को दर्जनों बार सुना होगा और हर बार सोचा होगा कि यह आयटम सॉन्ग है. पर आपको आश्चर्य होगा कि मनुष्य की कामभावना जगाने वाले इस गीत के पीछे कुछ और ही मतलब छुपा है. दरअसल वासना से अंधे हो चुके इस समाज में जहां ईश्वर के प्रति भक्ति को मज़ाक समझा जाता है, वहाँ इस गीत के द्वारा गीतकार ने वासना के हथियार से भक्तिभावना को जगाने का अभूतपूर्व प्रयत्न किया है. हम प्रत्येक छंद का विश्लेषण करेंगे और सत्य तक पहुँचने का प्रयत्न करेंगे.
Munni badnaam hui, darling tere liye - 3 times
Munni ke gaal gulabi, nain sharabi, chaal nawabi re
Le zandu balm hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye
Munni ke gaal gulabi, nain sharabi, chaal nawabi re
Le zandu balm hui, darling tere liye - 2 times
Munni badnaam hui, darling tere liye - 2 times
यहाँ डार्लिंग कौन है? ज़रा सोचिये. पूरे गीत में मुन्नी का डार्लिंग नहीं दिखता. दिखेगा भी कैसे! इंसान होगा तब तो दिखेगा. यहाँ मुन्नी के डार्लिंग साक्षात कृष्ण हैं. कन्हैया के प्यार में सैकड़ों वर्ष पहले मीरा बदनाम हुई थी. आज मुन्नी हो रही है. भक्तिभाव से मदहोश होने के कारण उसके गाल गुलाबी, नैन शराबी और चाल नवाबी हो गए हैं. साथ ही वह झंडू बाम भी हो गयी है. मतलब झंडू बाम की तरह दुनियादारी से त्रस्त लोगों के जीवन में आराम पहुंचाने वाली औषधि का काम कर रही है.
Shilpa sa figure Bebo si adaa, Bebo si adaa
Shilpa sa figure Bebo si adaa, Bebo si adaa
Hai mere jhatke mein filmi mazaa re filmi mazaa
Haye tu na jaane mere nakhre ve
Haye tu na jaane mere nakhre ve laakhon rupaiya udaa
Ve main taksaal hui, darling tere liye
Cinema hall hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye - 2 times
पर हम यहाँ यह ना भूल जाएं कि मुन्नी एक साधारण स्त्री भी है. कन्हैया के प्रति उसके प्रेम में सांसारिक प्रेम का अंश भी है. इसलिए वह महान प्रेमी कृष्ण को रिझाने के लिए अपने शारीरिक सौंदर्य का वर्णन करती है. वह बताती है कि उसके नखरों ने लाखों प्रेमियों को लाखों रुपये उड़ाने के लिए प्रेरित किया है. अगर भगवान कृष्ण यह गीत सुन रहे होंगे तो मुन्नी की इस निर्दोष अदा पर ज़रूर मुस्कुरा रहे होंगे.
O munni re, o munni re
Tera gali gali mein charcha re
Hai jama ishq da ishq da parcha re
Jama ishq da ishq da parcha re
O munni re
यहाँ भक्ति-भाव का दूसरा पक्ष सामने आता है. जिस तरह मुन्नी कृष्ण की भक्ति में लीन है, उसी तरह दर्जनों पुरुष मुन्नी की भक्ति में लीन हैं. एक ईश्वर की भक्ति में पागल है तो दर्जनों एक सामान्य मनुष्य की भक्ति में.
Kaise anaari se paala pada ji paala pada
Ho kaise anaari se paala pada ji paala pada
Bina rupaiye ke aake khada mere peechay pada
Popat na jaane mere peechay woh Saifu
(haye haye maar hi daalogi kya)
Popat na jaane mere peechay Saifu se leke Lambhu khada
Item yeh aam hui, darling tere liye
Item yeh aam hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye
पर मुन्नी दैवीय भक्ति में लीन होने के कारण मानवीय भक्ति को ज़्यादा महत्त्व नहीं देती. वह अपने सांसारिक भक्तों को दूर हटाने की कोशिश करती है. वह उन्हें छोटा महसूस कराने के लिए अपने काल्पनिक हाई-क्लास भक्तों का ज़िक्र करती है. फिर वह अपने भगवान् को बताती है कि वो 'आयटम आम' बन गयी है, अर्थात वह देवत्व में लीन होकर अपने शरीर की सीमाओं से बाहर आ गयी है. वह दुनिया के कण-कण में प्रवेश कर गयी है.
Hai tujh mein poori botal ka nasha, botal ka nasha
Hai tujh mein poori botal ka nasha, botal ka nasha
Kar de budaape ko kar de jawan re kar de jawan
Honthon pe gaali teri aankhein dulaali, haye
Honthon pe gaali teri aankhein dulaali re de hai jiya
Tu item bomb hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling mere liye - 2 times
Munni ke gaal gulabi, nain sharabi, chaal nawabi re
Le zandu balm hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye
Baat yeh aam hui, darling tere liye
Be-Hindustan hui, darling tere liye
Amiya se aam hui, darling mere liye
Le zandu balm hui, darling mere liye
Seenay mein hole hui, tere tere tere liye
Aale badnaam hui haanji haan tere liye
Le sareaam hui, darling tere liye
Darling tere liye x3
वो दर्जनों सांसारिक भक्त फिर से मुन्नी का प्रेम व आशीष पाने का प्रयत्न करते हैं. वो उसके महिमा गाते हैं. उसकी शक्ति का वर्णन करते हैं जो एक बूढ़े को युवक बना सकती है. उसकी दिव्य आँखों (दुनाली) और मनमोहक भाषा (गाली) के बारे में बोलते हैं.
पर मुन्नी तो अपने देवता के प्यार में पागल है रे! वो फिर से अपनी भक्ति की दुहाई देती है. वो बे-हिन्दुस्तान हो गयी है, अर्थात उसकी भक्ति के कारण देश, परिवार और समाज ने उसका त्याग कर दिया है. वो अमिया से आम हो गयी है, अर्थात एक सामान्य मनुष्य से बदलकर दैवीय भक्तिन बन गयी है. इसी दुहाई के साथ यह भक्ति-गीत समाप्त होता है.
यह अनोखा गीत सांसारिक मनुष्यों में गुप्त रूप से भक्तिभाव भरने का सुन्दर प्रयत्न है. हज़ारों वर्ष पहले वाल्मीकि से 'मरा' बुलवाकर उन्हें 'राम' की ओर प्रेरित किया गया था. आधुनिक युग में मुन्नी के गीत द्वारा मीरा के भक्ति-भाव को जगाने की कोशिश की गयी है. धन्य है यह गीत और इसका दोतरफा प्रभाव!
कॉपीराईट: आलोक रंजन (कृपया लेखक का श्रेय चुराने का कष्ट ना करें)
Thursday, March 10, 2011
Wednesday, March 09, 2011
Tuesday, March 08, 2011
Sunday, March 06, 2011
Friday, March 04, 2011
अगर बाबा रणछोड़दास चांचड़ की जगह चुलबुल पांडे होते!
पिछले साल दो फ़िल्में आयीं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़ दिए - 3 इडियट्स और दबंग. 3 इडियट्स के नायक रणछोड़दास चांचड़ थे तो दबंग के नायक चुलबुल पांडे थे. एक मस्तिष्क के धनी थे तो दूसरे मांसपेशियों के. पर दोनों अपने अपने क्षेत्र में विजेता थे. यहाँ हम यह विश्लेषण करने बैठे हैं कि अगर रणछोड़दास चांचड़ की जगह चुलबुल पांडे होते तो कैसे व्यवहार करते. आशा है आपने इन दोनों फिल्मों को देखा है. तभी आप इस विश्लेषण के साथ उचित न्याय कर पायेंगे.
1 . रैगिंग के समय : फिल्म के शुरुआती दृश्य में रैगिंग हो रही है. अगर चुलबुल को उनके सीनियर्स मूत्र विसर्जन की धमकी दे रहे होते तो चुलबुल अपनी रिवॉल्वर निकालकर बोलते - "हम तुम्हारे शरीर का सबसे छोटा एवं महत्त्वपूर्ण छेद बंद कर देंगे और तुम कन्फूज होकर मूत्र विसर्जन करने के बदले मूत्र विस्फोट से मर जाओगे."
2 . क्लासरूम में : इस दृश्य में शिक्षक मशीन की परिभाषा पूछ रहे हैं. रणछोड़दास चांचड़ उन्हें सबक सिखाने के लिए नोटबुक की अजीबोगरीब परिभाषा देते हैं. अगर चुलबुल वहाँ होते तो ऐसी परिभाषा देते - "हम छः कोष्ठों से निर्मित एक धुरी पर घूर्णन करने वाला एक यन्त्र भूल आये हैं जिसे हस्त और अँगुलियों से संचालित किया जाता है. इसकी नली से धूम्र और ध्वनि के साथ धातु की कोणीय बेलनाकार वस्तु अत्यधिक तीव्र गति से निकलती है जो सामने अवरोध के रूप में उपस्थित मानव शरीर से रक्त, मांस एवं अस्थि निकालने के साथ उसे आत्मा की उपस्थिति से मुक्त कर देती है." तब शिक्षक कन्फूज होकर पूछते - "तुम कहना क्या चाहते हो?" ऐसे में चुलबुल बोलते - "मास्टर साहब, हम अपना रिवॉल्वर भूल गए हैं."
3. शादी में भोजन : 3 इडियट्स में खाना खाने के लिए रणछोड़दास चांचड़ अपने दोस्तों के साथ सर पर साफा रखकर घुसते हैं, अगर चुलबुल वहाँ होते तो दोस्तों से कहकर राजमा में जमालगोटा मिलवा देते. फिर सैकड़ों लोग एकमात्र शौचालय में प्रथम प्रवेश हेतु युद्ध कर रहे होते. दूसरी तरफ चुलबुल अपने दोस्तों के साथ चिकन पर हाथ साफ़ कर रहे होते.
4. फरहान की अपने अब्बा से बहस : अगर फरहान चुलबुल का दोस्त होता तो उसका सपना फोटोग्राफी की जगह देसी शराब का ठेका चलाना होता. वो अपने अब्बा से बोलता - "क्या हुआ अब्बा अगर मैं इंजीनियर नहीं बना और देसी शराब का ठेकेदार बन गया ! यही न कि मैं शर्ट पैंट की जगह कुरता और गमछा लपेटकर घूमूंगा? कार पर बीवी के साथ घूमने की बजाय अपनी रखैल के साथ महिंद्रा जीप पर घूमूंगा. आपको कोसने से तो अच्छा है दारु से टल्ली होकर माँ-बहन की गालियाँ देकर खुद को कोसूं."
5 . वीरू सहस्रपाद से अंतरिक्ष की पेन पर बहस : अगर चुलबुल वहाँ होते तो बहस अंतरिक्ष में चलने वाली पेन की बजाय वहाँ चलने वाली लेज़र गन पर हो रही होती. वीरू बोलते- "चूंकि अंतरिक्ष में हवा नहीं होती इसलिए बारूद से चलने वाली गन का वहाँ इस्तेमाल नहीं हो सकता. इसलिए करोड़ों डॉलर खर्च करके वैज्ञानिकों ने ये लेज़र गन बनाई." इस पर चुलबुल कन्फूज हो जाते और बोलते- "मास्टर साहब! अगर बारूद वाली बन्दूक का वहाँ इस्तेमाल नहीं हो सकता तो वैज्ञानिकों ने रामपुरिया छुरे का इस्तेमाल क्यूँ नहीं किया? करोड़ों डॉलर खर्च करने की क्या ज़रुरत थी?"
इस विश्लेषण से पता चलता है की मांसपेशियों के साथ-साथ ईश्वर ने चुलबुल को वैज्ञानिक मस्तिष्क भी दिया था. वो स्थिति के अनुसार खुद को ढाल सकते थे - अब चाहे वो यू पी के बदनाम गलियारें हों या टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज. ईश्वर उनके जैसे तीन चार गुणी मनुष्य और धरती पर भेजे!
कॉपीराईट: आलोक रंजन (कृपया लेखक का श्रेय चुराने का कष्ट ना करें)
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गब्बर सिंह' का चरित्र चित्रण: http://alok160.blogspot.com/2011/01/blog-post.html
'मुन्नी बदनाम हुई' गीत की सप्रसंग व्याख्या: http://alok160.blogspot.com/2010/12/blog-post_5730.html
'शीला की जवानी' गीत का भावार्थ: http://alok160.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
शीला की जवानी' का भावार्थ 'आयटम-आचार्य' की आवाज़ में सुनें! http://alok160.blogspot.com/2010/12/blog-post_25.html
Tuesday, March 01, 2011
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