'पें-पें' की कर्कश आवाज़ के पीछे मेरी कई भावनाएं भी हैं, इस पर आपका ध्यान कभी नहीं गया. जाए भी कैसे? जब कोई दूसरा मुझे बजाता है तो आपके मन में गालियाँ आती हैं. जब आप खुद अपने कर-कमलों से मुझे बजाते हैं तो इस मद में चूर हो जाते हैं कि आपकी उँगलियों की नन्ही हरकतों से सामने खड़ी गाड़ियां आपके सामने से हटने के लिए खुद-ब-खुद प्रेरित हो जाती हैं.
वैसे तो मैं दुनिया की हर गाड़ी का एक महत्त्वपूर्ण अंग हूँ और मेरा आविष्कार सामने वाली गाड़ी को अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाने के लिए हुआ था. पर धीरे-धीरे कई उद्देश्य जुड़ते गए.
बच्चों ने मुझे खिलौना बना डाला. वो खड़ी गाड़ी में घुसकर मुझे भिन्न-भिन्न गतियों से बजाते हैं. एक ही आवाज़ तरह-तरह से मुझसे निकलती है. उनका मनोरंजन हो जाता है और मेरा व्यायाम.
पति मेरा उपयोग सायरन की तरह करते हैं. पत्नी फोन पर लगी है या श्रृंगार में तल्लीन है. बार-बार मुझे बजाकर पति यह जतलाना चाहते हैं कि बहुत हो चुका.
दिल्ली में ब्लूलाइन बसों के चालक मेरा उपयोग एक ज्योतिषी की तरह करते हैं. मुझे बजाकर वो सामने वाले को आगाह करते हैं कि मृत्यु के ग्रह उसपर मंडरा रहे हैं. अगर वो रास्ते से नहीं हटा तो उसके शरीर का बस के नीचे आना और आत्मा का बादलों के पार चला जाना तय है.
कई अनाड़ी मेरा इस्तेमाल 'ट्रैफिक क्लीनर' के रूप में करते हैं. सैकड़ों गाड़ियों के जाम में वो मुझे बजाते चले जाते हैं. उन्हें लगता है मेरी दिव्य ध्वनि से जाम हट जाएगा.
अमीरजादे मेरा इस्तेमाल शक्ति प्रदर्शन के लिए करते हैं. उन्हें पता है अपने बल पर जीवन में कुछ कर पाना थोड़ा मुश्किल है. तो बाप की गाढ़ी या काली कमाई से खरीदी गाड़ी में मुझे बजाकर थोड़ा रौब जमा लिया जाए.
तरह-तरह के उपयोगों और दुरुपयोगों के मध्य मेरी आवाज़ मेरी अपनी ही आवाज़ में दबकर रह जाती है. पर आज मौका मिला है. बस एक बात कहना चाहता हूँ.
हालांकि मैं बजने के लिए ही पैदा हुआ हूँ, पर मुझे इतना न बजाया करें. मेरी आवाज़ से आस-पास का ही नहीं, आपके दिमाग के अन्दर का शोर भी बढ़ता है. और जिस दिन यह शोर सीमा से बाहर चला जाएगा, कोई भी आपकी बजाकर चला जाएगा. मुझे बजाते-बजाते आप खुद ही बज जाएंगे.
2 comments:
lolz
व्यंग्य में काम की बात कही आपने। लोग हौरन का बहुत दुरुपयोग करते हैं।
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