मैं : तो इस बार दिल्ली के एमसीडी इलैक्शन में ‘आप’ तो जीत जाएगी?
वो : नहीं जी। एक वोट नहीं पड़ेगा उसको।
मैं : क्यों, ऐसा क्यों?
वो : एक वायदा पूरा नहीं किया उसने। धोखेबाज है। दिन-रात मोदी की शिकायत करता रहता है। वो प्रधान मंत्री हैं। वो देश का काम करें। ये दिल्ली का सीएम है। इसे दिल्ली का काम करना चाहिए।
मैं : लेकिन पिछले चुनाव में तो आप लोगों ने पूरा सपोर्ट किया था।
वो : हाँ, हम ऑटो और टॅक्सी वालों ने इसे अपना वोट दिया था। हमें लगा था, नया आदमी है, कुछ करेगा। लेकिन ये तो बस दूसरों को गाली देता रहता है। बोला था आधी सैलरी में काम करेगा। उसकी तोंद देखकर तो नहीं लग रहा कि आधी सैलरी में काम कर रहा है। शीला दीक्षित अच्छी सीएम थी। ये फ़्लाइओवर और रोड उसने बनवाई थी। उसको चोर-चोर बोलकर हरवा दिया। अब खुद बन बैठा है। इधर-उधर घूमता रहता है।
मैं : लेकिन उसके मोहल्ला क्लीनिक की तो बड़ी तारीफ हो रही है।
वो : हमें तो नहीं दिखता कोई मोहल्ला क्लीनिक। उनपर ताले लगे रहते हैं। सिर्फ फोटो खिंचवाने समय खुलता है।
मैं : आपको कौन सी पार्टी सही लगती है?
वो : बीजेपी और काँग्रेस दोनों चलेगी। दोनों कुछ तो काम करते हैं। पर के बीजेपी के कुछ नेताओं के बोलने का तरीका मुझे अच्छा नहीं लगता। वो हिन्दू मुसलमान का झगड़ा कराते रहते हैं। मैं तो अयोध्या गया था। मेरी समझ में नहीं आया कि झगड़ा किस बात का है? मंदिर और मस्जिद के बीच का काफी फासला है। और फिर, अयोध्या में रहने वाले तो कभी नहीं झगड़ते। ये बाहर वाले ही झगड़ते हैं। मेरे गाँव में कोई इस बात पर झगड़ता है, तो हम बोल देते हैं, तुम्हें झगड़ना है तो अयोध्या जाकर लड़ो। हमारी मिट्टी खराब मत करो।
मैं : बीजेपी के साथ ये दिक्कत तो है?
वो : सर, पार्टी अच्छी है। इसमें काम करने वाले लोग भी हैं। बस ये हिन्दू-मुस्लिम का फसाद न करें। हमें क्या मतलब कि कब किसने किसकी मंदिर और मस्जिद तोड़ी। हमें काम करने का माहौल चाहिए; बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चाहिए। ये झगड़ा तो पैसे वाले करते हैं, या फिर अनपढ़ करते हैं। फिर इन दंगों में हम जैसे लोग मारे जाते हैं। आजतक कभी किसी नेता को मरते नहीं सुना।
मैं : यूपी में नए सीएम आए हैं। वो कैसे लगते हैं?
वो : काम तो कर रहे हैं। उनके भाषणों से थोड़ी इमेज खराब है।
मैं : काँग्रेस की सरकार ठीक थी। नहीं?
वो : मनमोहन सिंह अच्छे आदमी थे। पर उनको कोई पावर नहीं थी। इससे क्या फायदा? अच्छे आदमी को पोस्ट दोगे, लेकिन पावर नहीं दोगे तो पार्टी तो डूबेगी ही। ये MCD चुनाव में भी बीजेपी आएगी। वहाँ काबिल आदमी की कदर करते हैं। काँग्रेस में आगे बढ़नेनहीं देते। केजरीवाल उनको बाहर निकाल देता है।
मैं : क्यों, ऐसा क्यों?
वो : एक वायदा पूरा नहीं किया उसने। धोखेबाज है। दिन-रात मोदी की शिकायत करता रहता है। वो प्रधान मंत्री हैं। वो देश का काम करें। ये दिल्ली का सीएम है। इसे दिल्ली का काम करना चाहिए।
मैं : लेकिन पिछले चुनाव में तो आप लोगों ने पूरा सपोर्ट किया था।
वो : हाँ, हम ऑटो और टॅक्सी वालों ने इसे अपना वोट दिया था। हमें लगा था, नया आदमी है, कुछ करेगा। लेकिन ये तो बस दूसरों को गाली देता रहता है। बोला था आधी सैलरी में काम करेगा। उसकी तोंद देखकर तो नहीं लग रहा कि आधी सैलरी में काम कर रहा है। शीला दीक्षित अच्छी सीएम थी। ये फ़्लाइओवर और रोड उसने बनवाई थी। उसको चोर-चोर बोलकर हरवा दिया। अब खुद बन बैठा है। इधर-उधर घूमता रहता है।
मैं : लेकिन उसके मोहल्ला क्लीनिक की तो बड़ी तारीफ हो रही है।
वो : हमें तो नहीं दिखता कोई मोहल्ला क्लीनिक। उनपर ताले लगे रहते हैं। सिर्फ फोटो खिंचवाने समय खुलता है।
मैं : आपको कौन सी पार्टी सही लगती है?
वो : बीजेपी और काँग्रेस दोनों चलेगी। दोनों कुछ तो काम करते हैं। पर के बीजेपी के कुछ नेताओं के बोलने का तरीका मुझे अच्छा नहीं लगता। वो हिन्दू मुसलमान का झगड़ा कराते रहते हैं। मैं तो अयोध्या गया था। मेरी समझ में नहीं आया कि झगड़ा किस बात का है? मंदिर और मस्जिद के बीच का काफी फासला है। और फिर, अयोध्या में रहने वाले तो कभी नहीं झगड़ते। ये बाहर वाले ही झगड़ते हैं। मेरे गाँव में कोई इस बात पर झगड़ता है, तो हम बोल देते हैं, तुम्हें झगड़ना है तो अयोध्या जाकर लड़ो। हमारी मिट्टी खराब मत करो।
मैं : बीजेपी के साथ ये दिक्कत तो है?
वो : सर, पार्टी अच्छी है। इसमें काम करने वाले लोग भी हैं। बस ये हिन्दू-मुस्लिम का फसाद न करें। हमें क्या मतलब कि कब किसने किसकी मंदिर और मस्जिद तोड़ी। हमें काम करने का माहौल चाहिए; बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चाहिए। ये झगड़ा तो पैसे वाले करते हैं, या फिर अनपढ़ करते हैं। फिर इन दंगों में हम जैसे लोग मारे जाते हैं। आजतक कभी किसी नेता को मरते नहीं सुना।
मैं : यूपी में नए सीएम आए हैं। वो कैसे लगते हैं?
वो : काम तो कर रहे हैं। उनके भाषणों से थोड़ी इमेज खराब है।
मैं : काँग्रेस की सरकार ठीक थी। नहीं?
वो : मनमोहन सिंह अच्छे आदमी थे। पर उनको कोई पावर नहीं थी। इससे क्या फायदा? अच्छे आदमी को पोस्ट दोगे, लेकिन पावर नहीं दोगे तो पार्टी तो डूबेगी ही। ये MCD चुनाव में भी बीजेपी आएगी। वहाँ काबिल आदमी की कदर करते हैं। काँग्रेस में आगे बढ़नेनहीं देते। केजरीवाल उनको बाहर निकाल देता है।
मैंने सोचा कि उसका नाम पूछूँ। नाम से धर्म का पता चलेगा। फिर मैं चुप रह गया। ये मेरी नज़र में एक मेहनत करने वाला ऑटो वाला था जिसका राजनीति पर अपना एक दृष्टिकोण था। उसका धर्म जानकर इस दृष्टिकोण में मिलावट करने से कोई फायदा नहीं था।
(26 मार्च 2017)
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