Monday, March 26, 2012

'कहानी' फिल्म के खलनायक बॉब विस्वास का चरित्र चित्रण


बॉलीवुड की बेहतरीन प्रस्तुति 'कहानी' दर्शकों के दिलो दिमाग पर छा गयी है; साथ ही छा गया है इसका किरदार बोंब बिस्वास. आज जरूरत है इस किरदार के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने और उन्हें समझने की.

१. विनम्र एवं शिष्ट: अपने शिकार को शिकार बनाने से पहले वह भारतीय परम्परा से नमस्कार कहना और मुस्कुराना नहीं भूलता था. आज के समाज में जहां गाली-गलौज और बदतमीजी को झूठी मर्दानगी की निशानी माना जा रहा है, वहाँ बोंब का शिष्टाचार हमें अपने भीतर झांकने को मजबूर करता है.

२. कम साधन में अच्छे परिणाम: लोग समझते हैं एक सफल हत्यारा बनने के लिए अत्याधुनिक बंदूकें और किसी बडे आपराधिक संगठन का हिस्सा होना जरूरी है. ऐसे मिथकों को झुठलाते हुए सिर्फ एक छोटी पिस्तोल से वह अपना काम अकेले काफी खूबसूरती से अंजाम देता था.

३. मितभाषी: वह कम से कम बोलता था. बॉलीवुड के खलनायकों की यह परम्परा रही है कि किसी को मारने से पहले लम्बी चौड़ी डायलौगबाजी करते हैं. आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में इतना बोलने का वक़्त किसके पास रहता है! इसलिए बोंब बिना कुछ ज़्यादा बोले लोगों का काम तमाम करता था.

४. अहम् रहित स्वभाव: उसका बॉस उसे दिन भर बात-बात पर डांटता रहता था. पर इससे उसके अहम् को कभी चोट नहीं पहुंची. वह अपमान और सम्मान की तुच्छ भावनाओं से ऊपर उठ चुका था. वरना अपने बॉस को मर्त्यलोक पहुँचाना उसके लिए बाए हाथ का खेल था. पर एक सच्चे कर्मयोगी की तरह वह उसी की जान लेता था जिसकी जिम्मेवारी उसे सौंपी गयी है.

५. शांतिप्रिय: उसकी बन्दूक में हमेशा सायलेंसर लगा रहता था. जब जान एक इंसान की लेनी है तो बाकियों की नींद क्यों खराब करनी!

६. सादगीपसंद: ना तो मोगैम्बो की तरह चटक-मटक वाले कपडे और एसिड के तालाब, और न ही अग्निपथ के कांचा चीना की तरह विलायती सूट. एक साधारण शर्ट और पैंट. और कुछ भी नहीं. 

७. जहाँ चाह वहाँ राह: लोग कहते हैं कि ऑफिस की व्यस्तता के कारण वो अपना शौक़ पूरा नहीं कर पाते, चाहे वो संगीत का हो या बाईकिंग का. पर बोंब आम लोगों से हटकर था. उसकी दिली तमन्ना थी कि वो पैसे लेकर लोगों की ह्त्या करे. और अपने इस शौक़ को पूरा करने के लिए उसने रास्ता निकाल ही लिया. 

हम ध्यान से देखें तो पायेंगे कि बोंब जैसे खलनायको में फिल्मो के नायको से ज़्यादा गुण होते हैं. बस ज़रूरत है उन गुणों को पहचानने की और अपनी ज़िंदगी में उतारने की. 

कॉपीराईट: आलोक रंजन (कृपया लेखक का श्रेय चुराने का कष्ट ना करें. )

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